सुबह सवेरा - कविता - विनय विश्वा

सुबह सवेरा
हुआ सुनहरा
चिड़िया गाती
मेरे अँगना
सुबह सवेरा
हुआ सुनहरा।

कल-कल करती
नदियाँ बहती
उत्तर से है
मलय बयार ये चलती
कल-कल करती
नदियाँ बहती।

भौंरे भी है गुन-गुन गाते
खेतों में है
फ़सलें लहराते
मेड़ों पे है खड़े किसान
अपने भविष्य को है निहारते।
गुन-गुन है भौंरे गाते।

विनय विश्वा - कैमूर, भभुआ (बिहार)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos