महापुरुषों को सलाम - कविता - प्रीति बौद्ध

लिख दिया जिसने स्वर्णिम भविष्य हमारा
बाबा साहब की उस कलम को सलाम।


दी आजादी हमें अधिकारों के लड़ने की
उस संविधान को करते हम सदा सलाम।


आजादी दी है हमें स्वच्छ हवा पानी की,
उन बाबा साहब डॉ.अम्बेडकर को सलाम।


दिया पाखंड मुक्त मार्ग अपनाने का सन्देश
उन तथागत गौतम बुद्ध के धम्म को सलाम।


जिस कलम से मिली भारतीय को आजादी,
उस कलम की स्याही को बारम्बार सलाम।


निःशब्द हूं अपने मुक्तिदाता के यशोगान में,
उस मुक्तिदाता के चरणों को करें सदा सलाम।


जिसने चार संतानों को खोया हमारे लिए,
उन संतानों को करते है हम साष्टांग सलाम।


जिस पत्नी ने खुशियों को हाशिए पे रख
बाबा साहेब को किया प्रेरित,
विशाल हृदया मां रमाबाई को करें सलाम।


जिस कलम ने लिखाया हमारा संविधान,
न मिटे वो स्याही कभी, पेन को करते सलाम।


क्या लिखें सभी वर्गों के अधिकार दाता के लिए?
शानदार जिंदगी दी उन अधिकारों को सलाम।


6 दिसंबर अश्रुपूरित दिन जो चले गए
हमारे अधिकार दाता हमें छोड़कर,
उन की उच्च कोटि की सोच को सलाम।


बाबा साहब की मानते जो 22 प्रतिज्ञाओं को,
ऐसे भीम पुत्र पुत्रियों को मेरा रहेगा सलाम।


जो रखते हैं समाज में अपने जिंदा रहने की खनक,
ऐसे जिंदा दिलों को हैं प्रीति बौद्ध का सलाम।


प्रीति बौद्ध - फिरोजाबाद (उत्तर प्रदेश)


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