अभिनंदन नव वर्ष तुम्हारा - कविता - गणपत लाल उदय

आओ नऐ वर्ष में यह संकल्प करे
बीती बातों को नज़र अंदाज़ करे।
दिऐ जो जख़्म हमें पुराने साल ने
मिलकर खुशियों से उन्हें नष्ट करे।।

आपसी मतभेद सबसे हम मिटाऐ
घर परिवार में फिर से प्यार बढा़ऐ।
समाज देश में अपनी प्रतिष्ठा लाऐ 
मिलकर नूतन वर्ष के जश्न मनाऐ।। 

खुली बाहों से वेलकम करे इसका
आभार करे अपने-२ परमेश्वर का।
जिसने नया सवेरा हमको दिखाया 
मौत के मुँह से हम सबको बचाया।। 

घर-घर मे आज खुशियाँ मनाओ
निर्धन, मज़दूर का साथ निभाओ।
इनको भी लगे आया है नया साल
सब लोगों में दे प्यार और उपहार।। 

अभिनंदन करो इस नूतन वर्ष का 
आस  लगाओ अपनों की राह का।
एक नयी उदय का सवेरा हो जाऐ 
समय भी सब का साथ देता जाऐ।।

गणपत लाल उदय - अजमेर (राजस्थान)

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