वह इश्क गज़ब था बचपन का,
ज़ज़्बात विलग मासूम निरत,
कोमल तन हर्षित पुलकित मन,
निश्छल गंगा सम पावन था।
चंचल उत्साहित बचपन का,
उद्गार मृदुल इश्की चितवन,
निर्लिप्त मना अठखेल मगन,
मनमौजीपन वह बचपन था।
माता ममतामय आँचल का,
वात्सल्य मुदित बस चाहत मन,
बस चाह प्रेम मन भेद विरत,
नवनीत चारु प्रिय बचपन था।
बिन भय नटखटपन बचपन का,
मंजुल अनंत नित भाव नयन,
हो रुष्ट क्षणिक नित तुष्ट क्षणिक,
निष्कलुष हृदय वह बचपन था।
सेतुबन्ध प्रेम अपनापन का,
माँ पिता हृदय मकरन्द गन्ध,
मेधावी नित गुरु भावित मन,
सहयोग निरत वह बचपन था।
उत्शृंखल ज़ज्बाती बचपन का,
आज्ञाकारी मदमस्त पवन,
भूलूँ लम्हें कैसे जीवन,
भर मुक्त उड़ानें बचपन था।
डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली