अलविदा साल - गीत - महेश "अनजाना"

गुज़रा हुआ हर साल
आता नहीं दोबारा।
आते ही नया साल
हो जाते हैं आवारा।

बीते हुए पल भूलें।
खुशी से चल झूलें।
महफ़िल को सजाएं,
गलियां हो या चौबारा।

कोई नया राग गा लें
कोई अनुराग पा लें।
वसंत की मस्ती में उड़े,
फाग का रंग फव्वारा।

वक़्त की तरह
ज़िंदगी रुकती नहीं।
किसी के इंतज़ार में
कभी भी ठहरती नहीं।
साहिल को छोड़,
नदियों को बहाती है धारा।

मुड़के ना वो देखे।
चले उसको लेके।
बढ़ते रहें कदम 
साथ वक़्त के होके।
नेमत है ख़ुदा की 
हयात फिर ना मिलेगी यारा।

महेश "अनजाना" - जमालपुर (बिहार)

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