गजेंद्र कुमावत "मारोठिया" - रेनवाल, जयपुर (राजस्थान)
माँ - कविता - गजेंद्र कुमावत "मारोठिया"
बुधवार, नवंबर 18, 2020
प्यारी सूरत है माँ
त्याग, दया की मूरत है माँ
चूल्हा-चौका महकार है माँ
माँ है तो घर संसार है
माँ के बारे में क्या न लिखूँ
जो भी लिखूँ
कम ही लगता है
माँ आँसू है
माँ कृतज्ञ है
माँ आशा है
माँ से ही जीवन है
माँ है तो मैं हुँ
माँ है तो खुशियाँ है
माँ की गोद में आशिया है
माँ के बारे में क्या न लिखूँ
जो भी लिखूँ
कम ही लगता है
माँ मेरी आवाज है
माँ ही मेरे शब्द
माँ मेरी सुबह है
माँ ही मेरा भगवान
माँ के बारे में क्या न लिखूँ
जो भी लिखूँ
कम ही लगता है...
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