गजेंद्र कुमावत "मारोठिया" - रेनवाल, जयपुर (राजस्थान)
माँ - कविता - गजेंद्र कुमावत "मारोठिया"
बुधवार, नवंबर 18, 2020
प्यारी सूरत है माँ
त्याग, दया की मूरत है माँ
चूल्हा-चौका महकार है माँ
माँ है तो घर संसार है
माँ के बारे में क्या न लिखूँ
जो भी लिखूँ
कम ही लगता है
माँ आँसू है
माँ कृतज्ञ है
माँ आशा है
माँ से ही जीवन है
माँ है तो मैं हुँ
माँ है तो खुशियाँ है
माँ की गोद में आशिया है
माँ के बारे में क्या न लिखूँ
जो भी लिखूँ
कम ही लगता है
माँ मेरी आवाज है
माँ ही मेरे शब्द
माँ मेरी सुबह है
माँ ही मेरा भगवान
माँ के बारे में क्या न लिखूँ
जो भी लिखूँ
कम ही लगता है...
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर

