पत्ता गोभी - नज़्म - कर्मवीर सिरोवा

मिरे दर पर हुजूम में,
साथी कोई पुराना आया हैं।
अजीजों की बज़्म में,
क़त्ल का फ़रमान आया हैं।

मोहब्बत के खेल में,
जाम तिरा ख़्याल आया हैं।
अर्ज कोई इरसाद हुई,
मासूम का अंत आया हैं।

तिरे पत्तों की देख जवानी,
बज़्म में इश्क़ आया हैं।
क्यूँकर मुझें तिरे गोल 
मुखड़ें पर रहम आया हैं।

सिहर उठी वो देख तिमिर,
क्यूँ तू मिलने आया हैं।
आँचल मिरा उतारने कोई,
बनके दुशासन आया हैं।

मोहब्बत का रंग भरने,
बज़्म में साक़ी आया हैं।
बहिश्त से फरिश्ता कोई,
लेके मिरा नाम आया हैं।

मुंतज़िर लबों पे शराब,
गोया मिरा काल आया हैं।
अजीजों की बज़्म में,
क़त्ल का फ़रमान आया हैं।।

कर्मवीर सिरोवा - झुंझुनू (राजस्थान)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos