प्यार वही है - गीत - प्रवीन "पथिक"

टूट  गई  तलवार  मगर  धार वही  है,
छूट गई मुलाक़ात मगर प्यार वही है।

ऐसा  कोई  संयोग  कहाँ,
जिसमें छुपा वियोग न हो
मिलता  उसे   चैन  कहाँ,
जिसके भीतर राग ही हो।

अब दूर है  मुझसे, मगर यार वही है,
छूट गई मुलाक़ात मगर प्यार वही है।

अब बीत गया उसका मिलना,
नादान; जो रोता उसके लिए।
तनिक बिछुड़न पर साहस खोता,
व्यर्थ है जीना जिसके लिए।

प्रेमविपिन था नहीं खिला, मगर बहार वही है,
छूट  गई  मुलाक़ात  मगर  प्यार  वही  है।

क्या हुआ संग बिछुड़ गया तो,
सपना  था जो नहीं फरा  तो।
कभी  मिलन  तो  होगा  ही,
धैर्य भाव  से डटा  रहा  जो।

भले "पथिक" भूल जाए, तेरा संसार वही है,
छूट गई  मुलाक़ात  मगर  प्यार  वही  है।

प्रवीन "पथिक" - बलिया (उत्तर प्रदेश)

Join Whatsapp Channel



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos