मैं दीन - हीन लघु दीप एक - गीत - डॉ. अवधेश कुमार अवध

मैं दीन - हीन लघु दीप एक,
थोड़ा - सा स्नेह प्रदान करो।

रख दो गरीब की कुटिया में,
उनकी रजनी  भी  जाग उठे।
आँगन में कुछ खुशहाली हो,
उनके  उर  सरगम राग उठे।।
जुगनू  भी  रूठें  हों  जिनसे,
उनके मन में कुछ आस भरो।
मैं दीन - हीन ...............।।

बाती  मेरी  अधजली  सही,
फिर  भी लड़ने में सक्षम हूँ।
इतिहास    पुरातन  है  मेरा,
मैं नहीं किसी से भी कम हूँ।।
तूफाँ को पुन: निमन्त्रण है,
आओ  टकराकर डूब मरो।
मैं दीन - हीन................।।

खाली  गरीब  की थाली में,
कुछ आशा कुछ विश्वास जगे।
विपदा  उनके  घर  में बैठी,
कह दो अब उनको नहीं ठगे।।
जीवन  के बुझे अमावस में,
होठों पर  नव मुस्कान धरो।
मैं दीन - हीन ................।।

डॉ. अवधेश कुमार अवध - गुवाहाटी (असम)

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