इश्क़ हैं - नज़्म - अंकित राज

उसकी New Profile को बिना झपके 
घंटो देखती हैं तुम्हारी भी पलकों की पंखुड़ियां
.....  तो इश्क़ हैं !!

उसकी Typing पे ख़ुशी से 
कापति हो जो तूम्हारी भी उंगलियां
.....   तो इश्क़ हैं !!

Online होने पर भी reply का ना आना 
चीखती तुम्हें भी हैं खामोशियाँ
.....   तो इश्क़ है !!

वो जरा सी आहट पे phone पकड़ के बैठ जाना 
Notification की हलकी आवाज़ तुम्हें भी लगती हैं टनटनाटी घंटियाँ
.....    तो इश्क़ हैं !!

उसका नाम सुन कर धड़कनों का बढ़ जाना 
वो उसकी last seen चेक करने की तुमको भी होती हैं बेचैनियां
.....    तो इश्क़ हैं !!

कैसे हो? पूछने पर "अब ठीक हूँ" लिखना 
लिख कर मिटाना, मिटा कर छुपाना, करते हो ऐसी नादानियाँ
.....   तो इश्क़ हैं !!


अंकित राज - मुजफ्फरपुर (बिहार)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos