शिक्षक होना सरल नहीं - कविता - रवि शंकर साह

मैं एक शिक्षक हूँ।
दुनिया को देता हूँ ज्ञान।
अज्ञानता को दूर भगाना
शिक्षा का अलख जगाना
यही मेरा एकमात्र काम ।
इसके बदले लेता नहीं दाम
बच्चों के भविष्य को लेकर
लगा रहता हूँ सुबह - शाम।
मुसीबतों में भी नहीं घबराता।
सर्दी,गर्मी का मौसम हो ।
या हो बरसात का मौसम।
सबकों देता शिक्षा का सौगात
शिक्षक होना नहीं सरल है।
वह पीता सबका गरल है ।
सोचो और जरा विचारों 
शिक्षक होता है कौन
जो चिंतन और मनन में
रहता है हरदम मौन
सबको देता ज्ञान की ज्योति
सारे तम को हर लेता है।
जीवन पथ आसान बनाता
शिक्षक होना नही आसान।
शिक्षक वहीं होता है
जो भेदभाव से रहित हो,
सबसे करता प्रेम पूर्ण व्यवहार।
जिसका चरित्र उत्तम होता
वही सर्वोत्तम कार्य यह करता
ज्ञान चाहे होता है कम 
पर मन उसका उदार होता
सर्वधर्म सद्भाव का संवाहक।
वह होता  संस्कृति का रक्षक।
पीता है नित दिन गरल वह।
शिक्षक होना नहीं सरल है।

रवि शंकर साह - बलसारा, देवघर (झारखंड)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos