जिसका जीवन को प्यास रहे।
ख़्वाबों में मिलकर मुझे;
सताती है जो,
कहाँ मिलेगी वो।
हर पल रहता जिसकी यादों में।
यूँ रहता खोया जिसकी बातों में।
न मिलने पर बेचैन सा;
कर जाती है जो,
कहाँ मिलेगी वो।
तारों में आती मुझको नजर।
दिल में बसी वो इस कदर।
किसी चेहरे मे दिख जाने पर;
तड़पाती है जो,
कहाँ मिलेगी वो।
तड़पाती मुझको वो दिन रात।
नहीं करती है मुझसे बात।
आँखों में आँसू बनकर;
ढुलकाती है जो,
कहाँ मिलेगी वो।
इक दिदार से सारी ख़ुशी मिल जाती।
मिलते मेरे दिलों की कली खिल जाती।
बसकर दिलों में ख़ुशबू सा;
महकती है जो,
कहाँ मिलेगी वो।
जिस पर करता जीवन कुर्बान।
जिसके लिए तोड़ देता अरमान।
न समझती दिल को मेरे औे;
बढ़ जाती है जो,
कहाँ मिलेगी वो।
जो मेरे संगीत का हो राग।
जिससे प्रेम का जलता चिराग।
प्रकाश बनकर मेरे जीवन में;
फैलाती है जो,
कहाँ मिलेगी वो।
बस! दिख जाए पकड़ लूं जिसे।
प्रेमधागे से बांध जकड़ लूं जिसे।
इतनी मेहरबानी कोई कर मुझपर;
बता दे तो।
कहाँ मिलेगी वो।
प्रवीन "पथिक" - कुसौरा बलिया (उत्तरप्रदेश)