मानचित्र दिल दिमाग में रहता हिन्दुस्तान का।।
उत्तर में खड़ा हिमालय, देखो सीना तान के
दक्षिण में हिन्द महासागर झूमता है ठान के।
प्रशांत,अरब सागर का फैला हुआ किनारा है
गुजरात से अरूणाचल तक सींचा सँवारा है।
हम ले लेंगे पीओके, हिस्सा है अभिमान का।
मानचित्र दिल दिमाग में रहता हिन्दुस्तान का।।
विविध रंग रूप संस्कृति, जाति, धर्म, संप्रदाय है
फिर भी एक सूत्र में गूँथे हुए महाकाय हैं।
पूरब-पश्चिम, उत्तर -दक्षिण से एक इकाई हैं
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई हम सभी भाई हैं।
अनेकता में एकता राज है भारत शान का।
मानचित्र दिल दिमाग में रहता हिन्दुस्तान का।।
मुगल, पुर्तगाली, अंग्रेज बहु को हम झेले हैं
फिर भी हम अखंड रहे, आग पर सदा खेले हैं।
धारा तीन सौ सत्तर, हमने आज हटाई है
देश की नींव फिर से मजबूत और बनाई है।
लौ जलाये रहते हैं देशप्रेम के तूफान का।
मानचित्र दिल दिमाग में रहता हिन्दुस्तान का।।
संजय राजभर "समित" - वाराणसी (उत्तर प्रदेश)