सोच पलट जाएगी - ग़ज़ल - ममता शर्मा "अंचल"

कम को बहुत मान लेंगे तो उम्र मज़े से कट जायेगी
चैन मिलेगा मन को, ग़म की गहरी बदली छट जायेगी

भूख-प्यास चाहे जितनी हो रोना-धोना तो कम होगा
मुश्किल हो मायूस, राह से बिना हटाये हट जायेगी

छल की चौसर पर छल के ये पासे चाल चले जितनी भी
मेहनत सच्ची चाल चलेगी, झूठी सोच पलट जायेगी

हिम्मत जब ज़िद पर आयेगी, घबरा जाएगी हर बाधा
सोई हुई क़िस्मत की इक दिन खुद ही नींद उचट जायेगी

अगर अमीरी और ग़रीबी दोनों हाथ मिला लेंगे तो
भारतमाता के आँचल में सुख बन पीर सिमट जायेगी।।।।

ममता शर्मा "अंचल" - अलवर (राजस्थान)

साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिये हर रोज साहित्य से जुड़ी Videos