चंदा मामा - बाल कविता - कपिलदेव आर्य

चंदा मामा, चंदा मामा, 
तुम हो कितने प्यारे मामा!
दूर गगन में चम-चम चमके,
जग से न्यारे-न्यारे मामा!

हमको लोरी देकर मामा,
तुमको आता ख़ूब सुलाना! 
तुम जागते हो सारी रैना, 
सुबह होते ही चले जाना!

गोल-गोल सुंदर से मामा,
मुझको भाते प्यारे मामा!
धवले बिल्कुल दूध के जैसे, 
आँखों के तुम तारे मामा!

जहाँ भी जाते हमें लुभाते, 
कभी बादलों में छुप जाते।
कभी-कभी जो तुम न आते,
ख़ूब अंधेरा होता मामा!

कपिलदेव आर्य - मण्डावा कस्बा, झुंझणूं (राजस्थान)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos