कपिलदेव आर्य - मण्डावा कस्बा, झुंझणूं (राजस्थान)
चंदा मामा - बाल कविता - कपिलदेव आर्य
बुधवार, सितंबर 30, 2020
चंदा मामा, चंदा मामा,
तुम हो कितने प्यारे मामा!
दूर गगन में चम-चम चमके,
जग से न्यारे-न्यारे मामा!
हमको लोरी देकर मामा,
तुमको आता ख़ूब सुलाना!
तुम जागते हो सारी रैना,
सुबह होते ही चले जाना!
गोल-गोल सुंदर से मामा,
मुझको भाते प्यारे मामा!
धवले बिल्कुल दूध के जैसे,
आँखों के तुम तारे मामा!
जहाँ भी जाते हमें लुभाते,
कभी बादलों में छुप जाते।
कभी-कभी जो तुम न आते,
ख़ूब अंधेरा होता मामा!
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