जिन्दगी - कविता - विभा कुमारी

ये जिंदगी क्या है, 
खट्टी मीठी यादों का अनुभव,
जो कभी हँसाती तो,
कभी रुला जाती।
 ये जिंदगी धूप छाँव जैसी है 
जो सूरज की तपिस सी तपाती है 
तो
अह्लादित भी कर जाती है।
ये जिंदगी आशा और निराशा का,
मिला जुला संगम है।
जब आशारुपी विचार मन में दस्तक देता है।
तब विश्वासरुपी अंकुर मन को संबल दे जाता है।
ये जिंदगी एक पलछिन की छाया सी है।
जब जीत मिले,तब झूम उठता है मन।
वही संघर्षरुपी चौखट पर छोड़ जाए,
तब विकल मन चित्कार करे।
ये जिंदगी क्या है यारों 
यह तो एक कसौटी है।
बैठे हैं यहां सब बने पारखी,
किस किस को अपनी मंजिल मिल पाती है।
ये जिंदगी क्या है...

विभा कुमारी - मुजफ्फरपुर (बिहार)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos