जैसे मौत मुझे बुला रही है
चल उस अनजानी जगह पर
जहां मेरे सिवा कोई और नहीं है .....!!
चल छोड़ भी देते हैं इस दुनिया को
जहां हमें कुछ नहीं मिला
मौत तू अब मुझे अपना ले
यहां मुझे तेरे सिवा और कुछ नहीं मिला.....!!
क्षण भर लोग आंसू बहाएंगे
मेरे गैरमौजूदगी में
कुछ पल तक मुझे याद करेंगे
कोई फर्क नहीं पड़ा था मेरे आने से
कोई फर्क नहीं पड़ेगा मेरे जाने से.....!!
व्यस्त भरी दुनिया में फुर्सत कहां
अकेले आए हैं इस धरती पर
मौत को छोड़कर हम और जाएंगे कहां
सुलगती जिंदगी से मौत आ जाए तो बेहतर है यहां.....!!
अब कुछ ऐसा लगता है
जैसे मौत मुझे बुला रही है
चल उस अनजानी जगह पर
जहां मेरे सिवा कोई नहीं है
अकेले आए हैं यहां अकेले जाएंगे
मौत आ जाने से हम न घबराएंगे.....!!
मधुस्मिता सेनापति - भुवनेश्वर (ओडिशा)