धरा अयोध्या प्रमुदिता - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"

प्रभु के    जय    जयकार  से , गूंजा    पूरा     देश।
रामराज्य   समरस     सुखी , सिया राम       संदेश।।१।।

धरा    अयोध्या    प्रमुदिता , हो      पूजित    नरेन्द्र।
खत्म   हुआ    वनवास   अब , पधारो    कौशलेन्द्र।।२।।

शंखनाद     शुभ    मांगलिक , जले  अयोध्या  दीप।
आवाहन      श्रीराम    का , पहुँचे    स्वयं     महीप।।३।।

मिली     आज    स्वाधीनता , सनातनी      सम्मान।
सियाराम   सुन्दर    मिलन , फिर   दर्शन   भगवान।।४।।

सुखद    शान्ति   सद्भावना , उन्नति    मुख मुस्कान।
हुआ   राष्ट्र   फिर   राममय , पूर्ण    हुआ   अरमान।।५।।

आलोकित    सरयू   नदी , प्रमुदित   प्रभु   हनुमान।
आज्ञा     दी    पूजन   धरा , सिया  राम     सम्मान।।६।।

सदियों  के तप त्याग बल , सफल  अयोध्या आज।
मनी    आज   दीपावली  , पूजित   सन्त    समाज।।७।।

हर्षित   है    माँ    भारती ,  मुक्त    राम   अभिराम।
विष्णुरूप  रघुनाथ  प्रभु ,  आएँ   हैं   निज    धाम।।८।।

सज    सोलह   शृङ्गार   फिर , स्वागतार्थ   श्रीराम।
अवधपुरी  बन  यामिनी  , सिय   रघुवर  अभिराम।।९।।

गा  निकुंज कवि काकिली , सुरभित  पुष्प   पराग।
शान्ति सरस सुख भंगिमा, सिय राम भक्ति अनुराग।।१०।।

डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली

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