रामराज्य समरस सुखी , सिया राम संदेश।।१।।
धरा अयोध्या प्रमुदिता , हो पूजित नरेन्द्र।
खत्म हुआ वनवास अब , पधारो कौशलेन्द्र।।२।।
शंखनाद शुभ मांगलिक , जले अयोध्या दीप।
आवाहन श्रीराम का , पहुँचे स्वयं महीप।।३।।
मिली आज स्वाधीनता , सनातनी सम्मान।
सियाराम सुन्दर मिलन , फिर दर्शन भगवान।।४।।
सुखद शान्ति सद्भावना , उन्नति मुख मुस्कान।
हुआ राष्ट्र फिर राममय , पूर्ण हुआ अरमान।।५।।
आलोकित सरयू नदी , प्रमुदित प्रभु हनुमान।
आज्ञा दी पूजन धरा , सिया राम सम्मान।।६।।
सदियों के तप त्याग बल , सफल अयोध्या आज।
मनी आज दीपावली , पूजित सन्त समाज।।७।।
हर्षित है माँ भारती , मुक्त राम अभिराम।
विष्णुरूप रघुनाथ प्रभु , आएँ हैं निज धाम।।८।।
सज सोलह शृङ्गार फिर , स्वागतार्थ श्रीराम।
अवधपुरी बन यामिनी , सिय रघुवर अभिराम।।९।।
गा निकुंज कवि काकिली , सुरभित पुष्प पराग।
शान्ति सरस सुख भंगिमा, सिय राम भक्ति अनुराग।।१०।।
डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली