समाधान पर ही जीवन चलता है - लेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला

कहते हैं की उम्मीद पर दुनिया कायम है, अतः उम्मीद रख कर समस्याओं के हल खोज कर निस्तारित करने का प्रयत्न करना चाहिए, क्योंकि समाधान पर ही जीवन चलता है।
जिस स्थिति या परिस्थिति को हमारा मन जटिल मानता है या यूं कहें जिसमें अनुकूलित नहीं हो पाता उसे समस्या माना जाता है।
कहने का आशय यह है कि समस्या हमारी दृष्टि पर आधारित होती है। जीवन है तो समस्याएं तो आएंगी ही।

किसी ने ठीक ही कहा है कि हमारी दृष्टि ही सृष्टि की निर्मात्री है। बहरहाल जीवन में कभी कभी बाहरी कारणों की वजह से हमारे सामने ऐसी विषम परिस्थिति उत्पन्न हो जाती है जिसका सामना ना चाहते हुए भी करना पड़ता है। ऐसी दशा में हम क्या करें और कैसे उस से निपटें अर्थात वस्तुगत रूप से कौन सी प्रक्रिया अपनाएं।
दरअसल समस्या विहीन जीवन की तो कल्पना भी नहीं की जा सकती।

समस्या आने पर कैसे हल् करें , उसका समाधान कैसे निकालें?
इस संदर्भ में महत्वपूर्ण बातों की जानकारी लेना जरूरी है ,जैसे कि सबसे पहले अपने मन में झांकें कि आपको कौन सी बात मूल रूप से तनाव दे रही है। यह आपका कोई व्यवहार, विचार या भाव हो सकता है।
समस्या का दूसरा पहलू है संभावित विकल्पों पर विचार करना। आप के मन मस्तिष्क में जितने हल हो लिख डालें।इसके बाद तीसरी सबसे महत्वपूर्ण बात है सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन करना। अब बारी बारी से एक एक विकल्प को व्यावहारिकता के आधार पर निस्तारित करते चलें।
कहने का आशय यह है कि जो सबसे उपयुक्त लगे उसका चयन करें फिर उसे लागू करें। जानना वही होता है जो जीवन में लागू किया जा सके।
अगर हम ठीक से जानेंगे तो ही ठीक से करेंगे।

वास्तव में उधार का ज्ञान बहुत ज्यादा काम नहीं आता, हां अपने ज्ञान से अपनी सोच से समस्या का हल निकालने का प्रयत्न करें। मगर दूसरों से भी उचित मार्गदर्शन ले सकते हैं, उस पर अमल कर सकते हैं। हर समस्या का कोई न कोई समाधान तो होता ही है और समाधान पर ही जीवन चलता है।
समस्याओं से लड़ें व परास्त करने का प्रयत्न करें  ।

सुषमा दीक्षित शुक्ला - राजाजीपुरम, लखनऊ (उ०प्र०)

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