परिवेश सुरक्षा जीवन रक्षा - कविता - मधुस्मिता सेनापति

स्वच्छ सुंदर वातावरण
जिसको प्रकृति करती है आमंत्रण
जो प्रकृति का है आवरण
यही तो है हमारा पर्यावरण.......!!

पृथ्वी में बढ़ रहा है प्रदूषण
धरती खो रही है अपनी आकर्षण
धीरे-धीरे नष्ट होने लगी है
हमारे यह सुंदर सा पर्यावरण........!!

यदि ऐसे ही चलता रहा
तो होगा प्रकृति का बड़ा नुकसान
प्रकृति को सुरक्षा देकर
हे मानव समाज, लौटाओ उसका सम्मान.........!!

प्रकृति को आज कष्ट पहुंचा कर
बन रहा है बड़े-बड़े शहर
हरियाली की खेती अब नहीं रही
प्रकृति की सुंदर रूप को खो रही है संसार..........!!

आओ हम मिलकर प्रतिज्ञा करें
करेंगे प्रकृति का सम्मान
प्रदूषण फैला कर ओर
हम करेंगे नहीं प्रकृति का नुकसान.......!!

मधुस्मिता सेनापति - भुवनेश्वर (ओडिशा)

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