मैंने माँ की आँखों को नम देखा है - कविता - शेखर कुमार रंजन

माँ की तरह कोई प्यार करें ऐसा,
दुनिया में मैंने बहुत कम देखा है
भैया सुनो न  दीदी सुनो न,
मैंने माँ की आँखों को नम देखा है

दुनिया वाले भी बहुत करेंगे प्यार
ऐसा मैंने जमाने में भ्रम देखा है
भैया सुनो न दीदी सुनो न,
मैंने माँ की आँखों को नम देखा है

कोई और भी करेगा जतन जितना
माँ को बच्चों के लिए जतन देखा
भैया सुनो न  दीदी सुनो न
मैंने माँ की आँखों को नम देखा है

मैंने जितने भी दर्द भरे गम देखा है
माँ के हाथों से ही मरहम देखा है
भैया सुनो न दीदी सुनो न
मैंने माँ की आँखों को नम देखा है

शेखर कुमार रंजन - बेलसंड, सीतामढ़ी (बिहार)

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