कुछ अनकही बातें - कविता - मधुस्मिता सेनापति

आखीर ऐसा क्यों  होता है कि
धोखा हमें कोई एक देता है
और भरोसा  सबसे उठ जाता है........!!

आखिर ऐसा क्यों होता है कि गलती
किसी और की होती है और 
सजा किसी और को मिल जाती है.........!!

आखिर ऐसा क्यों होता है कि जिसकी
हमें सबसे ज्यादा परवाह करते हैं
वही ही हमारी परवाह की कदर नहीं करते हैं........!!

"आखिर ऐसा क्यों होता है"
चलो आखिर में भूलते हैं सब कुछ
करते जिंदगी की नई शुरुआत
सोचे बहुत कुछ और करें कुछ ही कुछ........!!

जिंदगी जीने की वजह है
अगर दुख में सुख ना देखें तो वह सजा है
दो पल की जिंदगी को हम क्यों सजा बनाएं
चलो कुछ करें नया और जिंदगी को शानदार बनाएं........!!

इस हसीन जिंदगी को हम यूं ही ना गवाएं
चलो कुछ पल खुद जिए दूसरों को जीना सिखाए.......!!

जिंदगी यूं ही नहीं मिलती, हम इसे क्यों गवाएं
प्यार हम खुद से करें, झूठी उम्मीद हम खुद में ना भरे
जीवन की किताब के हर पन्नों पर
अपनी भावना से सुसज्जित करें.........!!

मधुस्मिता सेनापति - भुवनेश्वर (ओडिशा)

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