जन्म जन्म साथ निभाऊं - कविता - मयंक कर्दम

तुम मुझ में   बस जाओ,
मैं     तुम   में बस  जाऊं।
प्यार   की इस  डोरी में,
जन्म जन्म साथ निभाऊं।।

आंखों में  मेरी खो  जाओ, 
चुपके से  तुम सो   जाओ। 
वादों को  भूल  न जाओ,
जन्म जन्म मेरा साथ निभाओ।।

मर के भी तुम्हें प्यार जताऊं हूं,
आंखों के राज तुम को बताऊं।
ख्वाबों के पल में तुम्हें ले जाऊं,
जन्म जन्म  साथ  निभाऊं।।

होठों  पर  तेरा नाम  सजाऊं,
केशो में तेरी  याद  बिछाऊ।
नैनों   में  तुझको मैं   बसाऊं, 
जनम जनम तेरा साथ निभाऊं।। 

कहीं मैं तुम्हें छोड़ ना जाऊं,
प्यार की डोरी से तुम टूट ना जाओ।
इसलिए तुम मुझ में बस जाओ,
मैं तुम्हें बस जाऊं।। 

मयंक कर्दम - मेरठ (उत्तर प्रदेश)

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