चीनी या करेला - कविता - शेखर कुमार रंजन

क्या? बताऊँ दोस्तों,
लोग अपनी नाकामी
छिपाने के लिए अक्सर, 
दूसरों को बदनाम करते हैं।

इस दुनिया में किसपे,
भरोसा किया जाए
जो मुँह को मीठा लग रहा है,
बीमारी का कारण भी तो वही है।

यहाँ करेला किसे चाहिए,
लोगों का मुँह करवा हो जाएगा
पल भर की खुशी के लिए लोग,
जिंदगी बर्बाद करने में लगे हुए हैं।

आप ही बताओं यहाँ,
तकलीफ किसे नहीं है पर
अपनी तकलीफों से नहीं,
दूसरों की खुशियों से।

अब आपकी इच्छा है दोस्तों,
चीनी खाकर डाइबिटीज पाओ
या फिर करेला से रोग भगाओ
पर सोच में यह बात जरूर लाओ।

शेखर कुमार रंजन - बेलसंड, सीतामढ़ी (बिहार)

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