आज़ाद - कविता - अतुल पाठक

जब तक है जीया
मूँछों पर उसके ताव था

गुलामी जिसको मंज़ूर न थी
वो गुलाम देश का "आज़ाद" था

आँखों में अंगार जिसके
वो फौलादी चट्टान था

दुश्मनों के लिए बारूद
वो दोस्ती की मिसाल था

भय को भी भयभीत करता
वो निर्भय "आज़ाद" था

फूटता ज्वालामुखी सा
आज़ादी की क्रांति का उन्माद था

सूरज का प्रखर उत्ताप जैसा
वो नाम "आज़ाद" था

अतुल पाठक - जनपद हाथरस - (उत्तर प्रदेश)

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