ये जो मेरा वतन है - गीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला

ये  जो  मेरा  वतन है,
ये जान से प्यारा वतन है।
आज अपनी ही जमी है ,
आज अपना ही गगन है।
अपनी हवा मे साँस ले ,
अपनी हवा मे गुनगुनाएं।
अपने नियम अपने तरीके ,
नित  हमें आगे  बढायें।
रहते यहाँ हिंदू मुसलमाँ ,
सदा   से  ही   नेह से।
नित  सुनाती  कुरां  भी  ,
अरु  वेद ध्वनि हर गेह से।
हमसब अगर झगड़ें कभी ,
पर वक्त  पर हैं एक होते।
है  अजब  सी  एकता ,
हम  विश्व को सन्देश देते।
हम भूल सकते ना कभी ,
जो देश हित बलि चढ़ गये।
जिनकी कठिन कुर्बानियों से,
आज  हम सब  बढ़ गये।
बदनीयत से ग़र देख ले ,
कोई   हमारे  देश  को।
माँ  भारती  की शपथ है  ,
क्षण भर बचे ना शेष  वो।
ये   जो  मेरा  वतन है ,
ये जान से प्यारा वतन है।
आज अपनी ही ज़मी है  
आज अपना ही गगन है।

सुषमा दीक्षित शुक्ला - राजाजीपुरम, लखनऊ (उ०प्र०)

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