आये सखी ना, ना बालम आये
ऋतु सावन की, बीती जाये
किससे करूँगी मैं मन की बतिया
दिन भये दुश्मन, भईं बैरी रतिया
विरहा की रातें अब काटी ना जाये
ऋतु सावन की, बीती जाये
उनके बिना मेरा, सूना है अंगना
पायल उदास मेरी रोये हैं कंगना
अँखियों से काजल मेरे बहता जाये
ऋतु सावन की, बीती जाये
उनके लिए रोये, उनकी दीवानी
जाके सुनादे कोई उनको कहानी
सावन की बारिश आग लगाये
ऋतु सावन की, बीती जाये
कुमार निर्दोष - दिल्ली