अदब तेरे कलाम को।
लिखने के तेरे अंदाज ने
पूरा कर दिया है तेरे नाम को।।
शब्द तेरे
नदियों की कल कल
कवितायें
पहाडो़ के जलप्रपात हैं।
बंद किताबों से
आती रात है
खुले पन्नो में होती
प्रभात है।।
तुम वैसे ही हो
जितना पाक लिखते हो
तुम क्या पास
अपने जादुई कलम रखते हो।।
हमेशा रही है तुम्हारे कलमे
मेरे किताबखाने मेंं
आपसे बेहतर
नहीं मिलता पढ़ने को अब जमाने में।।
अंकितापिथौरागढ़ (उत्तराखंड)