परिवर्तन - लघुकथा - भरत कोराणा

पायल देर सवेर उठती थी। आभासी दुनिया में खोने के कारण उसको पता ही नही था की कब सोना और कब उठना है। अमीर परिवार से होने के कारण उसके ऊपर किसी प्रकार का प्रतिबन्ध नही था।
पापा उसको बहुत प्यार करते थे। इसलिए अपनी हर बात मनाने के लिए वो जिद करके मनवा लेती। अगर पायल रानी के आँखों में आँसू आ जाते तो फिर उसकी बात माननी ही पड़ती थी।

धीरे धीरे पायल उच्च शिक्षा की और बढ़ी। पैसा उसके नज़रो में अपनी वैल्यू खो चुका था। पायल पैसों को महत्व नही देती थी। 
कभी अपनी सहेलियों के साथ पकौड़ी खा कर खुद बिल दे देती तो कभी चाट के ठेले पर खूब आनंद से खाती। पायल के पापा शिक्षक थे और पायल एक ही प्यारी बेटी होने के कारण सबकी पलकों पर रहती थी। पापा के राज में जो उसकी दिल की तमन्ना थी वो सब पूरी की।

आज पायल का विवाह हो चुका है। उसके कंधो पर परिवार और पति की जिम्मेदारी है। विवाह के बाद उसके जीवन में ऐसा परिवर्तन आया की एक एक रुपये का अच्छे से ख्याल रख रही है। अगर सब्जी वाले ने एक रुपया ज्यादा ले लिया है तो एक रुपये के लिए बोल देती और मांग कर लेती। 

शायद अपने पति की जिंदगी से उसने नया पाठ सिखा था इसलिए पापा के घर की ऐश मौज को छोड़कर अब वो बचत करती जाती थी। वो सोचती थी बूंद बूंद से घडा़ भरा जाता है।
उसके जीवन में यह परिवर्तन आज सबको पसंद है । आज पायल भी खुश है की मै पैसों की बचत कर रही हूँ।

भरत कोराणा - जालौर (राजस्थान)

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