नैन ईश उपहार हैं - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"

नैन   अनोखा     बावला , नैन     नशीली      धार।
कजरारे     इस   नैन  ने  , पलकें   करती      वार।।१।।

करते     नित    अठखेलियाँ ,  मदमाते   ये    नैन।
बड़े    कँटीले   नैन     ये , हरते    सबकी      चैन।।२।।

हमराही     नित    प्यार   के , घायल   होते    नैन।
गज़ब    नैन    की  भंगिमा , नाचे   सब निशि रैन।।३।।

स्वीकृति  की  अनुपम विधा , आदेश नैन इज़हार।
कमल नैन   मृग नैन   हो , प्रकृतिसिद्ध    उपहार।।४।।

बीतराग    अनुराग    मन , हृदय   राग हो   लोक।
नैन    अश्रु   जलधार   बन , मुक्ति नेह अरु शोक।।५।।

नैन    प्यार     शृंगार    है , मातृ       हृदय  उद्गार। 
पिता    नैन  आचार   का , ज्ञान   नैन     गलहार।।६।।

नैन    क्रान्ति  का  ज्वाल है , नैन  शान्ति का दूत।
नैन   विजय  की है ध्वजा , नैन  सुखद   अनुभूत।।७।।

प्रेरक    नित  उत्साह    का , नैन  बना  चितचोर।
नैन    सदा   आशाकिरण , विपदा  भी   घनघोर।।८।।

नैन    सुखद   आभास मन , नैन सुखद मुस्कान। 
नैन    मनोहर    लावणी , विधिलेखी      वरदान।।९।।

मीनाक्षी       जगदम्ब  हैं  , कमलनैन  घनश्याम।
चन्द्रमुखी  माँ    शारदे , ज्ञान   नैन      अभिराम।।१०।।

मुग्धा    धीरा  यामिनी , पलक    छुपाती       नैन।
देख    सजन  मधुरिम मिलन , वाग्वाण   हर  चैन।।११।।

नैन      बफ़ाई     का इलम , नैन  अस्त्र   तकरार।
नैन       फ़ेरते      बेवफ़ा , नैन   सदा    सुखसार।।१२।।

नैन   ईश    उपहार  है , दर्शन   जग     अभिराम। 
सफल  नैन  पा   जिंदगी , नैन   स्वर्ग    सुखधाम।।१३।।

लखि निकुंज  कवि कामिनी , मृगनयनी मन मोर।
प्रीति   रीति   समरस   मुखी , राष्ट्र प्रेम   बह नोर।।१४।।

डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली

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