कजरारे इस नैन ने , पलकें करती वार।।१।।
करते नित अठखेलियाँ , मदमाते ये नैन।
बड़े कँटीले नैन ये , हरते सबकी चैन।।२।।
हमराही नित प्यार के , घायल होते नैन।
गज़ब नैन की भंगिमा , नाचे सब निशि रैन।।३।।
स्वीकृति की अनुपम विधा , आदेश नैन इज़हार।
कमल नैन मृग नैन हो , प्रकृतिसिद्ध उपहार।।४।।
बीतराग अनुराग मन , हृदय राग हो लोक।
नैन अश्रु जलधार बन , मुक्ति नेह अरु शोक।।५।।
नैन प्यार शृंगार है , मातृ हृदय उद्गार।
पिता नैन आचार का , ज्ञान नैन गलहार।।६।।
नैन क्रान्ति का ज्वाल है , नैन शान्ति का दूत।
नैन विजय की है ध्वजा , नैन सुखद अनुभूत।।७।।
प्रेरक नित उत्साह का , नैन बना चितचोर।
नैन सदा आशाकिरण , विपदा भी घनघोर।।८।।
नैन सुखद आभास मन , नैन सुखद मुस्कान।
नैन मनोहर लावणी , विधिलेखी वरदान।।९।।
मीनाक्षी जगदम्ब हैं , कमलनैन घनश्याम।
चन्द्रमुखी माँ शारदे , ज्ञान नैन अभिराम।।१०।।
मुग्धा धीरा यामिनी , पलक छुपाती नैन।
देख सजन मधुरिम मिलन , वाग्वाण हर चैन।।११।।
नैन बफ़ाई का इलम , नैन अस्त्र तकरार।
नैन फ़ेरते बेवफ़ा , नैन सदा सुखसार।।१२।।
नैन ईश उपहार है , दर्शन जग अभिराम।
सफल नैन पा जिंदगी , नैन स्वर्ग सुखधाम।।१३।।
लखि निकुंज कवि कामिनी , मृगनयनी मन मोर।
प्रीति रीति समरस मुखी , राष्ट्र प्रेम बह नोर।।१४।।
डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली