तुम याद आती हो - मुक्तक - बजरंगी लाल

मैं सब कुछ भूल जाता हूँ मगर तुम याद आती हो,
मेंरे सपनों में आकर तुम मुझे अब भी सताती हो।
बता दो जुर्म क्या मेंरा,क्या गलती किया मैंने,
मेंरी नींदों में आकर तुम, मुझी पर जुल्म ढ़ाती हो।।
मैंने प्यार तुमसे क्या किया बर्बाद कर डाला,
करके बेवफ़ाई तुमने मुझको मार ही डाला।
खायी थी कसम तुमने, कभी ना साथ छोड़ूँगी,
भुलाकर प्यार,खेमा,तूँने इलाहाबाद जा डाला।।
क्या गलती हुयी मुझसे खता क्या कर दिया मैंने,
सभी के सामने मुझको अकेला कर दिया तुमने।
तुम्हारे ही लिए मैंने जमाने भर को ठुकराया,
भुलाकर प्यार मेंरा सब पराया कर दिया तुमने।।
तुम्हारे प्यार की बातें सुनाता हूँ जमाने को,
दिल करता तुम्हीं को रात-दिन अब गुनगुनाने को।
मैं मंचों पर तुम्हीं अब, पुकारूंगा-पुकारूंगा,
तुम वापस लौट आओ अब खड़ा हूँ मैं बुलाने को।।

बजरंगी लाल - दीदारगंज, आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश)

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