असफलता ही सफलता की सीढ़ी होती है - लेख - शेखर कुमार रंजन

असफलता की जिम्मेवारी वहीं लोग ले सकते है जिसमें वास्तविक दम हो। क्योंकि मुझे आप ऐसा एक भी बड़ी हस्ती बता दो जिसने असफलता का सामना नहीं किया हो।असफलता के बाद सफलता मिलता है तो उसका स्वाद ही कुछ और होता है अर्थात बड़ी मीठा होता है। हमें कोई कार्य करने के बाद असफलता मिलती है, तो चिन्ता नहीं करना चाहिए बल्कि यह सोचना चाहिए कि ईश्वर ने मुझे एक मौका और दिया है इसे और बढ़िया से करने के लिए और फिर संघर्ष करने में लग जाना चाहिए।

यह बिलकुल सत्य भी है की यदि हम मेहनत उस अनुपात में नहीं कर पाते हैं जिस अनुपात में मेहनत करने पर अमुक वस्तु प्राप्त होती तो हमें वह वस्तु क्यों मिलनी चाहिए?जो मेहनत करेगा समय के संदर्भ में उसे ही सफलता मिलनी चाहिए यदि हम मेहनत नहीं करते हैं तो हमें सफलता बिलकुल भी नहीं मिलनी चाहिए। बड़े हस्तियों में यह एक गुण उभयनिष्ठ होतें हैं कि वे असफलताओं के बाद भी अपने कार्यों की जिम्मेदारी लेकर डटे रहतें हैं और संघर्ष करते रहते हैं। उनकी खूबी यह होती है कि वे अपनी गलतियों से सीखकर तुरंत उठ खड़े होतें है। व्यक्ति कभी न गिरे इसमें महानता नहीं है बल्कि महानता गिरने के बाद शीध्रता से उठ खड़े हो जाने की काबिलियत में निहित होती है। आप अपनी आंखों को उन चीजों के लिए बंद कर सकते हैं जिन्हें आप देखना नहीं चाहते किन्तु आप अपने दिल को उन चीजों के लिए बंद नही कर सकते जिन्हें आप महसूस करना नहीं चाहते हैं।

एक बात हमेशा याद रखें कि यदि हमलोग कोई कार्य करेंगे तो,या तो हम असफल होंगे या फिर सफल किन्तु किसी कारण बस असफल भी हो जाते है, तो पहले से ज्यादा अब जान रहे होंगे। हम सफल हो या असफल हमें दोनों स्थितियों में ही उसे स्वीकार करना चाहिए। आम इंसान अपने असफलता के लिए हमेशा दूसरों पर दोष मंढते रहते है।आम आदमी की मानसिकता ही ऐसी होती है यदि आप भी ऐसा करते हो, तो आप आज ही अपने में बदलाव लाये और इस बुराई को खुद से निकाल फेंकिये। क्योंकि ऐसे लोग या तो भाग्य को या फिर  सिस्टम को दोष देते रहते हैं और यह सिलसिला मृत्यु तक ऐसे ही चलते रहता है। अधिकांश लोगों के समय इसी प्रकार बहानेबाजी एवं दूसरों पर दोषारोपण करने में खर्च हो जाते हैं और इस प्रकार अंत में पछताने के अलावा कुछ भी नहीं बच पाता है। जब तक जिम्मेदारी लेने का साहस आपमें पैदा नहीं होगा तब तक आपका आत्म आकलन करने की प्रक्रिया शुरू नहीं होगी। दुनिया में अधिकांश तकलीफें और विवाद इसलिए होते हैं क्योंकि लोग किसी भी मुद्दे को एक सीमित नजरिये से देखता है।विपत्ति आने पर या निराश होने पर एक भला मानव निराश या अवसाद में जाने के बजाय संभावना आधारित सोच को प्रधानता देता है। यदि कोई समस्या हमें परेशान करता हो, तो हमें समस्या पर चिंतन करके समस्याओं को बड़ा करने की बजाय संभावनाओं पर चिंतन करना चाहिए हमें संभावनाएं तरासने चाहिए। यदि आप ऐसा करते हो तो आप जरूर सफलता प्राप्त करोगेऔर इस कथन को शत प्रतिशत सत्य कर दोगे की असफलता ही सफलता की सीढ़ी होती हैं।

शेखर कुमार रंजन - बेलसंड, सीतामढ़ी (बिहार)

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