संभालो कमान - कविता - जितेन्द्र कुमार


हे! भारतवर्ष के वीर जवान,
आगे बढ़ो, संभालो कमान।

चेहरे पर वो आभा लाओ,
औ' शरीर में अदम्य बल।
जिससे तुम प्रवीर होकर,
कर सको गुत्थियों का हल।
हृदय में शिवा की गाथाएं,
रखो प्रचण्ड इच्छा-शक्ति|
जिससे तुम सत्य पर चल,
सिद्ध कर सको आर्यशक्ति।

हे नौजवान! न बनो नादान,
आगे बढ़ो, संभालो कमान।

बुद्धि में पांडित्य ग्रहण कर,
प्राप्त करो तुम स्वावलंबन।
सभ्यता के गुरबत देखकर,
गले लगाओ उनका क्रंदन।
ताकि ये स्मृतियाँ झंकृत हो,
पा सके सब अपना न्यास।
हर सिम्त से बरसे खुशियां,
औ' ले सके सब पूर्ण साँस।

हे सपूत! तुम हो महान, सो
आगे बढ़ो, संभालो कमान।

जितेन्द्र कुमार

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