रुबाई - सुषमा दीक्षित शुक्ला

हर पल हरदम यादों मे आते हो तुम।
सारी बातें ख्वाबों मे बताते हो तुम।
स्वप्न  देश  में  बसेरा बना  कर ।
कितना  अब हमें  रुलाते हो तुम ।

अरमान  मेरे रोज जलाते हो तुम।
कितना मुझे रोज सताते हो तुम ।
दिन रात सनम तेरी याद मे जलूं।
ख्वाब बन के  सिर्फ अब आते हो तुम।

बेबसी का हाल क्यूँ सुनाते हो तुम ।
पास मुझे क्यूँ नही बुलाते हो तुम ।
चाँद पर मिलूँगी तुझे एक रोज मैं।
दूर जा के हर कदम क्यूँ रुलाते हो तुम ।

सुषमा दीक्षित शुक्ला
राजाजीपुरम , लखनऊ (उ०प्र०)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos