इन पंजीकृत दलालों को रोक लो - ग़ज़ल - दिनेश कुमार मिश्र "विकल"

भरो न तस्वीरें रंग-ए-एक खून से,
बेईमानी फिजाओं को रोक लो। 
बारूदी ढेर पर बैठी है ये दुनिया ,
सुलगती शिखाओं को रोक लो ।
वरगलाओ न इस भावी पीढ़ी को,
धधकती ज्वालाओं को रोक लो।
है इसी में भलाई हम सभी की ,
इन हैवानी जफ़ाओं को रोक लो। 
बचाना जो चाहो देश को अपने,
बढ़ते इन घोटालों को रोक लो ।
कहलाओगे गुलाम फिर किसी के,
दहकती इन फिजाओं को रोक लो। 
बचा लो भारत की आन 'विकल '
सिसकती बालाओं को रोक लो ।
बेचो न सोने की चिड़िया है देश,
इन पंजीकृत दलालों को रोक लो ।
रोक लो इन कुत्सित हवालों को,
उभरते इन सवालों को रोक लो।।

दिनेश कुमार मिश्र "विकल"

Join Whatsapp Channel



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos