पोस्टर छपने लगे तस्वीर गुम - ग़ज़ल - मनजीत भोला


पोस्टर छपने लगे तस्वीर गुम
द्रोपदी का हो गया है चीर गुम

क्या हवस का नाम ही अब प्यार है
गुम जिगर हैं औ' नज़र के तीर गुम

चारसू अब उग रही हैं नफरतें 
चाहतों की हो गई तौक़ीर गुम

अब किसी दिल में न बाकी आग है
आँख से भी हो गया है नीर गुम

क़ैद हूँ आज़ादियों के मुल्क में
पाँव से बेशक हुई जंजीर गुम

अब कलम से ही लडूंगा जंग मैं
हो गई है म्यान से शमसीर गुम

है गज़ब की शय यहाँ 'भोला' ग़ज़ल
आज तक ग़ालिब हुए न मीर गुम


मनजीत भोला
कुरुक्षेत्र, हरियाणा

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