हर तरफ सहमी हुई सी प्यार की आवाज है - ग़ज़ल - मनजीत भोला


हर तरफ सहमी हुई सी प्यार की आवाज है
चाहतों के देश में अब नफरतों का राज है

कौन चिड़िया गुनगुनाए गीत यारों बाग में
हर शज़र पे आजकल बैठा हुआ इक बाज़ है

तानपूरे,ढोल,तबले,बाँसुरी खामोश है
गोलियों की धुन सुनो बन्दूक ही अब साज़ है

कागजी किरदार सारे हैं अदीबों मौज में
रौनकी मुहताज कल था आज भी मुहताज है

है कहाँ गिरवी कलम, कुछ ऐ सहाफी तुम कहो
खुदकुशी लिखते क़त्ल को क्या गज़ब अंदाज है

खुशबुएँ थी जिन गुलों में बस वही तोड़े गए
काम जो आए किसी के  गिरती उस पे गाज है

हक मिरा जो खा गए वो कह रहे हैं दोस्तों
है हमारा खास "भोला" हमको उसपे नाज़


मनजीत भोला
कुरुक्षेत्र, हरियाणा

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