महज तुम्हारी यादों के सहारे - कविता - राहुल जाटू


सावन बिता सुना हमारा
सर्द भी खाय जाय
महज तुम्हारी यादों के सहारे
कैसे हम जिंदगी बिताए
बिन तुम्हारे साँसे आये कम
हर पल दम  निकला जाए 
कैसे तुम्हारे बिन सांसो को
चलने का सलीका सिखाये
महज तुम्हरी यादों के सहारे
कैसे हम जिंदगी बिताए
रो-रो कर गुजरती हैं राते
दिन भी सूखा ना जाये
कब तक नक़ली हंसी के पीछे
जाटू हम अपने गम छुपाए
महज तुम्हारी यादों के सहारे
कैसे हम जिंदगी बिताए
कैसे हम जिंदगी बिताए
राहुल जाटू
नांगल चौधरी, हरयाणा

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