ए मौत तेरा डर नही - कविता - चीनू गिरि


ए मौत तेरा डर नही,
यहां कोई अमर नही।
मौत ही अटल सत्य है ,
बाकि दुनियाँ मिथ्या है।
ए मौत तेरा डर नही

मुझे डर तो जिंदगी से लगता है,
कही मौत से पहले ना मर जाऊ।
हर इंसान बस तकलीफ़ देता है,
अपना बन कर नया जख्म देता है ।
ए मौत तेरा डर नही

हँसते हँसते तेरे गले मिलूगी, 
ए मौत तेरा भ्रम है मै रोने लगूगी।
तू ही तो एक सच्चा साथी है ,
ए मौत तेरे स्वागत की मैने तैयारी की।
ए मौत तेरा डर नही

बस मेरी एक ही तमन्ना है ,
रोने धोने की जगह शेरों शायरी हो।
मेरी मौत- मौत नही कोई जश्न हो,
मेरी मौत पर त्यौहार मनाया जाये ।
ए मौत तेरा डर नही

मेरे जीवन का तू आखिरी लक्ष्य है,
फिर क्यों डरु मैं अपनी मौत से ।
मेरी इस जिंदगी के सफर का,
सच तो ये है मौत आखिरी रास्ता है। 
ए मौत तेरा डर नही

चीनू गिरि
देहरादून उत्तराखंड

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