बोलने से पहले तोलना - गीत - समुन्दर सिंह पंवार



सोच - समझ कर लब अपने खोलने चाहियें
बोलने से पहले शब्द  सदा तोलने चाहियें

जात - धर्म को छोड़कर जोड़ो मानवता से नाता
आपस में बैर रखना कोई मजहब नहीं सिखाता
नाजुक दिलों में जहर हमनें ना घोलने चाहियें

हर प्राणी भूखा होता जग में आदर - सत्कार का
घाव बोल का भरै नही भर जाता है हथियार का
कड़वे बोल बोलकर जिगर ना छोलने चाहियें

समुन्दर सिंह प्यार से बढ़कर और नहीं कोई पूजा
सुख से जीवन जीने का और रस्ता नहीं कोई दूजा
पड़े पछताना बोल बड़े ना कभी बोलने चाहियें

समुन्दर सिंह पंवार
रोहतक , हरियाणा


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