बोलने से पहले शब्द सदा तोलने चाहियें
आपस में बैर रखना कोई मजहब नहीं सिखाता
नाजुक दिलों में जहर हमनें ना घोलने चाहियें
घाव बोल का भरै नही भर जाता है हथियार का
कड़वे बोल बोलकर जिगर ना छोलने चाहियें
सुख से जीवन जीने का और रस्ता नहीं कोई दूजा
पड़े पछताना बोल बड़े ना कभी बोलने चाहियें
समुन्दर सिंह पंवाररोहतक , हरियाणा