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विधा/विषय "राह"
काँटों भरी राह - कविता - अन्जनी अग्रवाल "ओजस्वी"
शुक्रवार, जनवरी 08, 2021
काँटों भरी राह मुझे चलने दो। सदियों से बंधी पाँव बेड़ियाँ। तोड़ बेड़ी मशाल प्रव्जलित करने दो।। मुझे काँटों भरी राह चलने दो। हवा रुख बदलत…
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