संदेश
विधा/विषय "मानवता"
मानवता - कविता - प्रवीन "पथिक"
सोमवार, सितंबर 07, 2020
देखा बुढ़िया को, घास छिल रही थी पथ के किनारे। अस्थि पंजर ही अवशेष, काया झुकी, त्वचा पर झुर्रियां। बयां कर रही थी उसकी जीवन गाथा।…
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