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विधा/विषय "बादल"
प्रकृति संरक्षण - गीत - संजय राजभर "समित"
शनिवार, अप्रैल 03, 2021
सुन बदरा रे! हैं विकल जीव सारे, शिथिल सब थके हारे। तप्त हलक अधरा रे ! सुन बदरा रे! सूखे ताल-तलैया, अब कौन ले बलैया? है लू का पहरा रे…
बादल - कविता - महेन्द्र सिंह राज
शनिवार, मार्च 20, 2021
बरस जाता सावन में काश, कृषकों की पूरी होती आस। घुमड़ते भूरे जो बना के दल, नील गगन में, कहते बादल।। बादल जीवन की आशा हैं, ना बरसे तो जी…