संदेश
विधा/विषय "फूल"
फूल से पत्थर का संवाद - कविता - ममता शर्मा "अंचल"
मंगलवार, सितंबर 08, 2020
इक दिन फूलों से पत्थर की बात हुई बात कहूँ या तानों की बरसात हुई तू है बहुत कठोर, कहा जब फूलों ने साथ दिया फूलों का तीखे शूलों …
फूल और काँटे - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
सोमवार, सितंबर 07, 2020
फूल और काँटे जीवन बन, मधुरिम खूशबू महकती हैं। नित गन्धमाद पंकिल सरोज, सुख दुख तटिनी बन बहती हैं। काँटें नित स…
फूल से खूशबू कभी जुदा नही होती - नज़्म - सुषमा दीक्षित शुक्ला
शुक्रवार, जुलाई 24, 2020
फूल से खुशबू कभी जुदा नहीं होती। पाकीज़गी प्यार की बेखुदा नहीं होती । है अगर कशिशे मोहब्बत रूह की। तो बाखूदा ये गुमशुदा नहीं ह…
फूलों की डगर में पत्थर बरसते हैं - कविता - दिनेश कुमार मिश्र "विकल"
सोमवार, जून 15, 2020
पत्थरों के शहर में पत्थर बरसते हैं। फूलों की डगर में सुगंधी महकते हैं। जिंदगी के सफर में हमराही मिलते हैं। उनसे ही डगर में पत्थ…