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विधा/विषय "जल"
जल - कविता - गौतम कुमार
मंगलवार, मई 05, 2020
बढ़ रही है इस धरा पर , प्रतिदिन आबादी। व्यर्थ ना बहाएँ जल को , करें ना इसकी बर्बादी।। दुनियाँ को अब दिखा रहें हो , मूर्ख त…
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