संदेश
विधा/विषय "आज़ादी"
जश्न-ए-आज़ादी - मुक्तक - परवेज़ मुज़फ्फर
मंगलवार, जनवरी 26, 2021
आकर वतन से दूर तरक्की की दाँव में परदेश हम ने बाँध लिए अपने पाँव में। रह कर अज़ीम शहरो में परवेज़ आज भी दिल का कयाम है उसी छोटे से गाँ…
आज़ादी - कविता - नूर फातिमा खातून "नूरी"
शुक्रवार, जनवरी 22, 2021
अंगुली पकड़कर गर्दन पकड़ा था अंग्रेजों ने ग़ुलामी की ज़ंजीर में जकड़ा था अंग्रेजों ने। राजपूत, नवाबों को आपस में लड़ाया था, हिन्दू मुस्ल…
ज़रा याद करो क़ुर्बानी - कविता - विनय "विनम्र"
शनिवार, जनवरी 16, 2021
भयानक मंज़रों के दौर से, गुज़रा हुआ अपना वतन, ज़ालिमों के ज़ुल्म से, लूटा हुआ है ये चमन, बस शिकस्तों पे शिकस्तों, का धरा पर अवतरण, कुछ शही…