संग चलें हम बुद्ध हो जाएँ - गीत - उमेश यादव

संग चलें हम बुद्ध हो जाएँ - गीत - उमेश यादव | Geet - Sang Chalen Hum Buddha Ho Jaayen. गौतम बुद्ध पर कविता। Hindi Poetry On Gautam Buddha
उर में करुणा, प्रेम मगन मन, तन से हम सेवा कर पाएँ।
संग चलें हम बुद्ध हो जाएँ, संग चलें हम बुद्ध हो जाएँ॥

भोग विलासिता को त्यागना, जीवन की है कठिन साधना।
सुख, वैभव, ऐश्वर्य त्यागकर, पीड़ितों के हित अथक भागना॥
स्वयं तपाकर औरों के हित, जीवन को हम दाँव लगाएँ।
संग चलें हम बुद्ध हो जाएँ, संग चलें हम बुद्ध हो जाएँ॥

जीव हत्या और चोरी करना, इनसे डरो ये महापाप है।
नशे का सेवन, झूठ बोलना, व्यभिचार भी अभिशाप है॥
बुद्ध बनें हम, शुद्ध बनें हम, सदा पंचशील अपनाएँ।
संग चलें हम बुद्ध हो जाएँ, संग चलें हम बुद्ध हो जाएँ॥

दृष्टि, वचन, संकल्प, कर्म अब, सम्यक हो स्मृति, प्रयास, जब।
अष्टांग मार्ग पर चलें हमेशा, दुःख-कष्टों को नष्ट करे सब॥
सांसारिकता से ऊपर उठकर, हम समाधि को पाएँ।
संग चलें हम बुद्ध हो जाएँ, संग चलें हम बुद्ध हो जाएँ॥

दुःख है, उसका कारण भी है, कष्टों का निवारण भी है।
काम क्रोध मद लोभ को त्यागें, भगवन हैं तो तारण भी है॥
संघबद्ध शुचिता अपनाकर, जीवन को हम श्रेष्ठ बनाएँ।
संग चलें, हम बुद्ध हो जाएँ, संग चलें, हम बुद्ध हो जाएँ॥

दान, शील और त्याग अपनाएँ, प्रज्ञा, अन्तःशक्ति जगाएँ।
पक्ष रहित हों, सहनशील हों, मैत्री, करुणा भाव अपनाएँ॥
दसों पारमिता अपनाकर, जो भी चाहें बुद्ध कहाएँ।
संग चलें हम बुद्ध हो जाएँ, संग चलें हम बुद्ध हो जाएँ॥

उमेश यादव - शांतिकुंज, हरिद्वार (उत्तराखंड)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos