क्षितिज के पार जाना है - गीत - उमेश यादव

क्षितिज के पार जाना है - गीत - उमेश यादव | Geet - Kshitij Ke Paar Jaanaa Hai - Umesh Yadav. नारियों पर गीत/कविता। Hindi Poetry On Womens
उठो जागो बढ़ो आगे, क्षितिज के पार जाना है।
सुनो नारियों, आगे बढ़कर, अपना मार्ग बनाना है॥

जकड़ी थी ज़ंजीरों से पर, तूने क़दम बढ़ाई थी।
झाँसी दुर्गा काली बन, दुष्टों को धुल चटाई थी॥
अपने साहस से तुमको, मंज़िल आसान बनाना है।
सुनो नारियों, आगे बढ़कर, अपना मार्ग बनाना है॥

परहित हरपल हरक्षण हैं, परहित ही तेरे कर्म अटल।
औरों के हित जीवन तेरा, है परोपकार ही धर्म अटल॥
बाधाओं के पर्वत को भी, क़दमों से धूल बनाना है।
सुनो नारियों, आगे बढ़कर, अपना मार्ग बनाना है॥

शक्तिस्वरूपा जग जननी हो, माँ इसका अभिमान करो।
नर नारायण सबकी माता, इसका तो सम्मान करो॥
सार्थक हो नारी जीवन यह, अब तो शौर्य जगाना है।
सुनो नारियों, आगे बढ़कर, अपना मार्ग बनाना है॥

गौरव शाली था अतीत अब, अपनी तन्द्रा को त्यागो।
सिंहवाहिनी दुर्गा माँ हो, अष्टभुज रूप में राजो॥
लहरों सी हुंकार भरो अब, पत्थर भी पिघलाना है।
सुनो नारियों, आगे बढ़कर, अपना मार्ग बनाना है॥

उमेश यादव - शांतिकुंज, हरिद्वार (उत्तराखंड)

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