मेरा गाँव - गीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला

मेरा गाँव - गीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला | Hindi Geet - Mera Gaanv - Sushma Dixit Shukla | गाँव पर हिन्दी गीत / कविता
मेरे गाँव की सोधीं मिट्टी,
अम्मा की भेजी चिट्ठी।
स्कूल से हो जब छुट्टी,
वो बात-बात पर खुट्टी।
हर बात याद क्यूँ आती?
ना भूली मुझसे जाती।

मेरे खेतों की हरियाली,
वो झूले वाली डाली।
बाग़ों में कोयल काली,
पीपल की छाँव निराली।
वो कैसी थी ख़ुशहाली,
हर बात याद क्यूँ आती?
ना भूली मुझसे जाती।

वो काग़ज़ वाली नैया,
वो बछड़े सँग मेरी गैया।
वो माँ के प्यार की छैयाँ,
वो सखियों की गलबहियाँ।
वो मंदिर घी की बाती,
हर बात याद क्यूँ आती?
ना भूली मुझसे जाती।

चूड़ी के चमकते ठेले,
वो बैसाखी के मेले।
मिट्टी की गुजरिया केले,
वो खेल जो सारे खेले।
आँगन तुलसी लहराती,
हर बात याद क्यूँ आती?
ना भूली मुझसे जाती।

जब बैठ किनारे देखूँ,
वो झील के पँछी सारे।
वो गुलमेहन्दी के पौधे,
लगते थे कितने प्यारे।
क्या भुट्टे चने करारे,
माँ के पकवान वो सारे।

जी करता है फिर से,
उस गाँव में मैं खो जाऊँ।
बापू की बनाई खाट पे,
जा माँ संग मैं सो जाऊँ।

लहरों सी आती जाती,
वो यादें बहुत सताती।
हर बात याद क्यूँ आती?
ना भूली मुझसे जाती।


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