तेरा साथ ना होना तुमसे बात ना होना,
बेज़ुबाँ हर रातों में कच्ची नींद में सोना,
मन बाबरा किसी भी ओर चल पड़ता है,
तेरा संग होना ना होना फ़र्क़ तो पड़ता है।
वजह मालुम नहीं पर बेचैन सा रहता हूँ,
आज मालुम पड़े कोई वजह तो बताए,
कहता है तुम्हारा कमरा अन्धेरा रहता है,
इजाज़त है कोई आकर दीपक तो जलाए।
तुम रो लिए और अपने रास्ते चल दिए,
बिना कोई शर्त तुम सुनो तो मैं कुछ कहूँ,
कोई है दिवार बनकर मेरे रास्ते खड़ा है,
क्या कहूँ सामने से हटे तो मैं आगे चलू।
इस से पहले तो कभी नहीं हुआ था ऐसा,
काग़ज़ पर ख़ुद को तुम्हारे लिए उतारे थे,
मैंने पाया कि बस मिल गई मंज़िल अब,
लेकीन पार करने को बहुत से किनारे थे।
मनोरंजन भारती - भागलपुर (बिहार)